Bihar Liquor Ban : अप्रैल, 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक कितने लोगों ने शराब का सेवन छोड़ा। इसके साथ ही शराबबंदी के प्रत्यक्ष और परोक्ष सामाजिक-आर्थिक प्रभाव की भी जानकारी हासिल की जाएगी।
शहर व ग्रामीण इलाकों के साथ परिवार और समाज पर इसका कैसा असर रहा, इसकी रिपोर्ट भी तैयार कराई जाएगी।
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बिहार सरकार ने अब शराब छोड़ने वाले लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए सर्वे कराने का फ़ैसला किया है। इससे पहले, साल 2017 में आद्री और जगजीवन राम शोध संस्थान ने सर्वे किया था।
साल 2022 में, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के शोध पदाधिकारियों के साथ मिलकर चार हज़ार लोगों पर सर्वे किया था।
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने शराबबंदी के असर को लेकर किए जाने वाले सर्वे की खोज शुरू कर दी है। इस बार अकादमिक संस्थानों को इसके लिए आमंत्रित किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार तक निविदा की आखिरी तारीख थी जिसमें तीन संस्थानों ने अपनी रुचि दिखाई है।
अब विभाग के स्तर से इनमें से बेहतर संस्थान को सर्वे का काम सौंपा जाएगा। विभाग के अनुसार, 12 सप्ताह में सर्वे का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उम्मीद है कि अगले साल मार्च तक सर्वे रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।
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हर जिले में 2500 घरों का होगा सर्वे :
विभाग के अनुसार, राज्य के सभी 38 जिलों में शराबबंदी के असर का सर्वे होगा। हर जिले में न्यूनतम 2500 घरों का सर्वे किया जाएगा। इसके साथ ही हर जिले में कम से कम 40 लोगों का इंटरव्यू भी किया जाएगा। इसके अलावा चार फोकस ग्रुप भी होंगे जो शराबबंदी के मुद्दे पर विचार-विमर्श कर इसका प्रभाव जानने की कोशिश करेंगे।
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हर रोज ऑनलाइन संग्रह होगा डाटा :
शराबबंदी सर्वे इस मामले में अलग होगा कि इस बार कागज-कलम की जगह डिजिटल डाट इंट्री होगी। सर्वे की टीम आनलाइन डाटा संग्रह करेगी जिसकी समय-समय पर केंद्रीय स्तर से मानीटरिंग हो सकेगी।
इससे सर्वे में पारदर्शिता आएगी। सर्वे टीम को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में रिपोर्ट जमा करना होगा। सर्वे के दौरान आने वाली चुनौती और अनुभव को भी टीम हर पखवारे शेयर करेगी।
99 प्रतिशत महिलाओंं ने किया था शराबबंदी का समर्थन :
शराबबंदी लागू होने के बाद से राज्य सरकार अब तक तीन बार सर्वे करा चुकी है। इसी साल फरवरी में जारी तीसरी सर्वे रिपोर्ट में राज्य की 99 प्रतिशत महिलाओं ने शराबबंदी का समर्थन किया था। वहीं 92 प्रतिशत पुरुष आबादी भी शराबबंदी के पक्ष में बताए गए थे।
सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि करीब 96 प्रतिशत लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। इसके पूर्व 2017 में आद्री और जगजीवन राम शोध संस्थान ने सर्वे किया था। इसके अलावा वर्ष 2022 में चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के शोध पदाधिकारियों के सहयोग से चार हजार लोगों पर सैंपल सर्वे तैयार किया था।
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